Wednesday, March 23, 2011

important for all







ये नोट- उन सबके लिए हे- जो मेरी प्रोफाइल पर फ्रेंडलिस्ट में हें या जो फ्रेंडलिस्ट में होना चाहते हें-  
मेने प्रस्तुत  ब्लॉग लिखना चालू किया हे यहाँ मेरी तमन्ना हे की
हम सब फ्रेंड मिलकर एक रोमांचक प्रस्तुति-विचार सम्प्रेषण करें परन्तु बार-बार कहने पर भी अब-तक केवल 4  followers  हें  
-अरे जब हम एक दूसरे को बातों-विचारों से नहीं जानेंगे तो कैसे दोस्त -कैसा कम्युनिकेशन फिर कैसी दोस्ती ,,
इसी प्रकार मेरी कम्युनिटी पर हजारों मेम्बर तो हें पर वहां कोई-कोई ही कुछ लिखता हे वाकी सब तो शायद ,,,
मनोरंजक-जो केवल मेरी कम्युनिटी में ही हें -पर पोल भी नहीं करते -,,,दोस्तों ब्लॉग-कम्युनिटी पर बातें शेयर करने से ज्ञान भी बढ़ता हे एवं दोस्ती भी अनजान से जानी-पहिचानी होती हे ,,,मुझे लगता हे लोग शोशल-नेट्वोर्किंग जानते ही नहीं -
और इसे बिगाड़ने पे आमादा हें ,,,कोई बिना बात के बिना जाने-पहचाने बॉक्स चेटिंग के लिए hi -hello  करता हे ----------
--------उम्मीद करता हे दूसरा चूतिया हे जो अपनी जानकारी दे देगा ,,,
कोई चूतिया-पंथी चलाता हे click  this  लिंक and  get  sex ...कहकर अपनी किसी मूर्खताभरी ब्लॉग या अन्य साईट पर क्लिक कराकर ,,
ad-sense  या पैसा.कॉम जैसी चूतिया दुनिया से धन-कमाना (money -एअर्निंग) को कहता हे--
एक लड़की साली कहती हे में यहाँ बात नहीं करती ऑरकुट या face -book  पर में इस-उस लिंक पर बात करती हूँ ,,, क्लिक करोगे तो साली का उद्देश्य केवल एक इंश्योरेंस की साईट पर क्लिक करा कर पैसा बनाना हे ,,
एसी चूत-मरानीकीयों ने ऑरकुट को बिगाड़ दिया हे अरे रंडी इससे भड़िया तो गांड-मराकर कमाले  ,,,कोई-कोई गंडमरा  /चुद्दो तो पिस्सिंग (दूसरे के पासवर्ड एवं मेल id  को चुराने के लिए ) जाल रचते हें ,,,
इन्हें इनकी बहेन की चूत लगती हे दूसरे की id  सो भोसड़ी के उसे चुराने की सोचते हें कि कहीं चुद न जाय ...
दोस्तों मेरा ऑरकुट-facebook-ब्लॉग-कम्म्युनिति को चलाने का एक ही मकसद हे -मस्त मनोरंजन -स्वस्थ्य मनोरंजन 
कम्मुनिती ज्वाइन करने को इसे क्लिक करें-चुद्दो 
ब्लॉग ज्वाइन करने को क्लिक करें-true-romance  
अतः अच्छे-अच्छे दोस्त इन्हें ज्वाइन कर समझदारी का परिचय दें वाकी के सभी के लिए -उनकी माँ क़ी चूत कह कर 
मुझे उनकी गांड पे लात मारकर प्रोफाइल फ्रेंड-लिस्ट से बाहर भगाना हे  -
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Monday, March 21, 2011

chuddo-mastani


मस्त काम वाली सोना बाई

सोना कई वर्षों से घर में नौकरानी का काम करती थी। नीरजा और करण पति पत्नी थे और उनकी कोई सन्तान नहीं थी। करण का व्यवसाय अच्छा चल रहा था। नीरजा तो बस अपनी सहेलियों के साथ किटी पार्टी और दूसरे कामों में लगी रहती थी। उसका झुकाव करण के एक व्यवसायी मित्र आनन्द और मन्जीत की तरफ़ भी था। उनकी और नीरजा की मित्रता के कारण वो करण को अधिक समय नहीं दे पाती थी, रात्रि-मिलन भी कम ही हो पाता था। करण को उसके इन सम्बन्धों का पता था, ऐसे में कई महीनों से करण का झुकाव घर की नौकरानी सोना की तरफ़ हो चला था। उसका बदन तराशा हुआ था। वो दुबली पतली इकहरे बदन की थी, उसकी छातियाँ सुडौल और मांसल थी। बदन पर लुनाई थी। कसे बदन वाली सोना से करण कई बार प्रणय की कोशिश भी कर चुका था। पर सोना सब समझ कर भी उनसे दूर रहती थी। उसे पता था कि नीरजा को पता चलेगा तो उसकी जमी हुई नौकरी हाथ से चली जायेगी। सोना का दिल भी करण को चाहने लगा था।

सोना का पति एक बूढ़ा आदमी था जो लगभग 60 वर्ष का था, बीमार रहता था। पैसों का लालच देकर उसने कम उम्र सोना को ब्याह लिया था। पर उसके साथ शारिरिक सम्बन्ध ना के बराबर थे। नीरजा अक्सर उससे चुदाई की बातें पूछा करती थी। सोना निराशा से उसे बरसों पहले हुई अपने आदमी की चुदाई की बातें बताती थी, कि कैसे वो दारू पी कर उसके साथ चुदाई क्या बल्कि बलात्कार करता था। सोना जब उससे करण से चुदाई के बारे में पूछती तो वो नीरजा बहुत रंग में आकर उसे सेक्सी बातें बताया करती थी। सोना तो जैसे उसकी बातें सुन कर सपनो में खो जाया करती थी। नीरजा उसके चेहरे के उतार-चढ़ाव को देखती थी, उसके भावों को समझती थी।

एक दिन सोना को नीरजा ने बड़े प्यार से झटका दे दिया,"सोना, करण से चुदवायेगी ?"

सोना की आँखें फ़टी की फ़टी रह गई। उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि नीरजा क्या कह रही है।

"जी, क्या कहा आपने ?"

"करण तुझ पर मरता है, तुझे चोदना चाहता है !"

"दीदी, यह आप कह रही है, वो तो मुझे भी अच्छे लगते हैं, पर यह सब? तौबा !"

"अच्छा, मैं तुझे इस काम के लिये बहुत पैसे दूंगी, प्लीज सोना मान जा !"

सोना ने मुस्करा कर अपना सर झुका लिया। वो धीरे से नीरजा के पास जाकर नीचे बैठ गई और उसके पैर पकड़ लिये।

"मेरी किस्मत ऐसी कहाँ है, दीदी ... आपकी मेहरबानी सर आँखो पर ... मैं तो हमेशा के लिये आपकी दासी हो गई..."

नीरजा ने उसे उठा कर अपने गले से लगा लिया।

शाम को सोना काम पर आई तो सोना ने अपने हिसाब से अपना मेकअप किया हुआ था। पर नीरजा ने उसे फिर से अच्छा सा सजाया और उसे करण के कमरे में काम करने के लिये भेज दिया। करण ने उसे देखा तो वो देखता ही रह गया। सोना इतनी खूबसूरत है यह तो उसने कभी सोचा भी नहीं था। नीरजा जानती थी कि करण को क्या पसन्द है उसने उसे वैसा ही सजा दिया था।

"सोना, तुम तो बहुत सुन्दर हो ... जरा पास तो आओ !"

सोना सकुचाती हुई उसके पास चली आई।

करण उसे छू कर बोला,"ये तुम्हीं हो ना या कोई सपना !"

सोना ने अपनी बड़ी बड़ी आँखें धीरे धीरे करके ऊपर उठाई और मुस्कराई।

"आपने तो हमें कभी ठीक से देखा तक नहीं, भला नौकरों की तरफ़ क्यूँ कोई देखेगा?"

करण ने उसके मुख पर अपनी अंगुली रख दी। सोना एक कदम और आगे बढ़ गई, उसे नीरजा की तरफ़ से छूट जो मिल गई थी। करण ने उसको इतना समीप से कभी नहीं देखा था। उसकी शरीर की खुशबू करण के नथुनो में समाती चली गई। करण ने अन्जाने में सोना का हाथ पकड़ लिया। सोना पर जैसे हजारों बिजलियाँ कड़क उठी, शरीर थर्रा गया। करण की गरम सांसें अपने चेहरे पर आती हुई प्रतीत हुई। उसने आँखें खोली तो देखा करण के होंठ उस तक पहुँच रहे थे। सोना घबरा सी गई, उसे लगा कि यह पाप है।

"ना, भैया, नहीं ! मैं गरीब मर जाऊंगी !" उसकी आवाज में घबराहट और कम्पन था।

"नहीं, आज ना मत कहो, कब तक मैं जलता रहूंगा?"

"गरीब पर दया करो, भैया जी।"

पर करण ने उसे दबोच लिया और उसके पतले पंखुड़ियों जैसे होंठों को अपने होंठों से लगा लिया। करण के हाथ उसकी पीठ को यहाँ-वहाँ दबाने लगे थे। सोना होश खोती जा रही थी। उसके सपनों का साथी उसे मिल गया था।

तभी ताली की आवाज आई,"बहुत खूब ! तो यह सब हो रहा है? तो करण, तुमने सोना को पटा ही लिया?" नीरजा सभी कुछ देख रही थी, बस उसे उसे अच्छा मौका चाहिये था, कमरे में प्रवेश करने के लिये।

"नहीं, नीरजा वो तो यूँ ही मैं..."

"... किस कर रहा था, किये जाओ, रुक क्यों गये ?"

"अरे तुम तो बुरा मान गई, सोना, जाओ यहाँ से... चलो !"

"अरे नहीं, करण मुझे बुरा नहीं लगा, हां पर सोना को जरूर लगेगा। लगे रहो, मैं खुश हूँ कि तुमने सोना को पटा लिया ... चलो शुरू हो जाओ !"

नीरजा वापस अपने कमरे में लौट गई। जाते जाते उसने कमरे का दरवाजा बन्द कर दिया। सोना ने करण को फिर से अपने से चिपका लिया और दोनों प्यार करने लगे।

करण ने सोना का स्तन अपने हाथों में लेकर उसे सहलाना आरम्भ कर दिया। सोना की चूचियाँ सख्त होने लगी। चुचूक कड़े हो कर और भी सीधे हो गये। सोना के दिल पर उन दोनों के इस नाटक का कोई असर नहीं हुआ था, वो तो चुदने को बेताब थी। करण ने सोना का ब्लाऊज सामने से खोल दिया था और उसके नंगे उरोजों को दबा रहा था। सोना से भी नहीं रहा गया तो उसने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया, उसकी पैन्ट खोल कर खींच कर बाहर निकाल लिया और उसे धीरे धीरे मलने लगी। दोनों के मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
तभी नीरजा बिल्कुल नंगी हो कर कमरे में आ गई। उसने आते ही करण को आंख मारी जो सोना ने भी देख लिया था। उसने पीछे से आकर सोना का ब्लाऊज उतार दिया और उसकी साड़ी भी उतार दी।

"कहो सोना, पेटीकोट भी उतार दूँ या इसे ऊँचा करके काम चलाओगी?" नीरजा हंसीयुक्त आवाज ने सोना को शर्म से पानी पानी कर दिया। नीरजा ने जल्दी से उसका नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे सरका दिया। सोना का दमकता रूप देख कर वो स्वयं भी हैरान रह गई। कीचड़ में कमल का फ़ूल ! सोना का एक एक अंग तराशा हुआ था, गजब के कट्स थे। उसकी गहराईयाँ और उभार बहुत पुष्ट और सुघड़ थे। नीरजा ने सोचा कि तभी करण इस पर मरता था, मरना ही चाहिये था ! उसे खुद का जिस्म देख कर शर्म सी आने लगी थी, साधारण सा उभार, कोई विशेष बात नहीं, फिर भी करण उसे बहुत प्यार करता था, बहुत इज्जत देता था।

नीरजा करण के पास गई और उसकी पैंट और चड्डी उतारने लगी। फिर उसकी बनियान भी उतार दी। नीरजा ने उन दोनों देखा, लगा कि जैसे ये दोनों एक दूसरे के लिये ही बने हैं। किस्मत का खेल देखो, सोना को मिला बुढ्ढा और मुझे मिला एक सजीला खूबसूरत जवान, जिसकी उस स्वयं ने कभी कदर नहीं की।
नीरजा बड़े प्यार से दोनों को धीरे धीरे सेज पर ले गई।

" सोना, कहो, पहले आगे या पिछाड़ी, ये गाण्ड बहुत प्यारी मारते हैं।"

वो शर्म से सिमटने लगी। उसका चेहरा लाल हो चुका था।

"दीदी, कैसी बातें करती हो, मैं तो आपकी दासी हूँ ... ये तो जैसी आपकी इच्छा..."

"अच्छा करण तुम बताओ, क्या मारोगे, सोना की चूत या गाण्ड ?"

"मेरी प्यारी सोना की गोल गोल गाण्ड बड़ी मोहक है, नीरजा चलो वहीं से आरम्भ करते हैं।"

"तो सोना जी, हो जाओ तैयार, और कर दो अपनी मेहरबानी करण पर, उठ जाओ और बन जाओ घोड़ी !"

सोना उठ कर पलट कर अपनी गाण्ड ऊंची कर ली और घोड़ी सी बन गई। उसके खूबसूरत गोरे गोरे चूतड़ो का जोड़ा चमक रहा था, उसमें से उसकी प्यारी गाण्ड का फ़ूल खिलता हुआ नजर आ रहा था। भूरा और गुलाबी रंग का द्वार ... करण से रहा नहीं गया। वो झुक गया गया। उसकी लम्बी सी जीभ लपलपा कर उसकी गाण्ड चाटने लगी। जीभ को मोड़ कर उसने गाण्ड के भीतर भी घुसाने की कोशिश की। उसका यह कृत्य सोना को बहुत आनन्दित कर रहा था। नीरजा भी अपने हाथों से सोना के चूतड़ों को पकड़ कर खींच कर और खोल रही थी। सोना की चूत रस से भर गई थी और उसका गीलापन बाहर निकल रहा था। उसकी चूत का जायका भी उसकी जीभ ने मधुरता से ले ही लिया। सड़ाक सड़ाक करके उसका रस करण के मुख में प्रवेश कर गया। सोना ने वासना से भर कर नीरजा की जांघ को अपने दांतों से काट लिया।

"अब हो जाये ... एक भरपूर वार !" नीरजा ने करण को इशारा किया और अपनी कोल्ड क्रीम की शीशी खोल कर सोना के गाण्ड के भीतर और बाहर चुपड़ दी। थोड़ी सी करण के लौड़े पर भी लगा दी। करण तो बहुत उतवला होने लगा था। वो अपना लण्ड सोना की गाण्ड पर लगा कर दबाने लगा। क्रीम का असर था, लण्ड फ़क से भीतर चला गया। सोना चिहुंक उठी। फिर एक हल्का झटका, लण्ड एक चौथाई अन्दर घुस गया। उसे दर्द हुआ, उसका जबड़ा दर्द से भिंच गया। दूसरे झटके में लण्ड आधा अन्दर पहुँच गया था। उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आई थी। एक हल्की सी कराह निकल पड़ी थी। नीरजा का इशारा पा कर करण ने भी अब रहम करना छोड़ दिया और आखिरी शॉट जोर से मार दिया। लण्ड पूरा घुस चुका था। सोना के मुख से एक चीख निकल पड़ी।
"बहुत दर्द होता है, दीदी, कहो ना धीरे से चोदें !"

पर करण कहाँ सुनने वाला था। उसने उसे तीव्र गति से चोदना आरम्भ कर दिया था, वो कराहती जा रही थी। नीरजा उसके स्तनों को मसल मसल कर उसे मस्त करना चाह रही थी, पर शायद दर्द अधिक हो रहा था। कुछ देर यूँ ही गाण्ड चोदने के बाद उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

नीरजा समझ गई थी कि अब उसे चूत की चाह है। नीरजा ने सोना की चूत पर हाथ फ़ेरा और उसकी चूत खोल दी। रस से लबरेज चूत लप-लप कर रही थी। लण्ड के गाण्ड से निकलते ही सोना ने राहत की सांस ली। तभी नीरजा ने उसकी चूत खोली तो वो मस्त होने लगी। उसे लगा कि अब मुझे एक प्यारा सा लण्ड मिलने वाला है। वो वर्षों से नहीं चुदी थी, वो गाण्ड का दर्द भूल कर आसक्ति से करण को देखने लगी,"भैया, अन्दर डालो ना ... मुझे मस्त कर दो... हाय !"

नीरजा ने करण का लौड़ा पकड़ कर उसकी योनि में प्रवेश करा दिया। लण्ड के घुसते ही उसके मुख से सुख भरी आह निकल गई। उसने नीरजा का इशारा पा कर धीरे धीरे लण्ड से चूत में घर्षण आरम्भ कर दिया। पर एक स्थान पर जाकर वो रुक गया, उसने देखा कि लण्ड तो आधा ही अन्दर घुसा है, उसने जोर मार कर धक्का दिया।

सोना चीख उठी,"धीरे से ... यहाँ भी दर्द हो रहा है ... भैया प्लीज !"

पर करण ने फिर से एक धक्का और दिया। वो फिर से चीख उठी। तभी करण ने अगला करारा शॉट जोर से मारा। सोना दर्द से बिलख उठी।

"भैया, क्या फ़ाड़ ही डालोगे !"

"नहीं री मेरी सोना, देखो गाण्ड में भी दर्द हुआ था ना, क्या हुआ ... बस दर्द ही ना ... फिर तो रोज चुदवाओगी तो मजा आने लगेगा।"

"सच भैया, मुझे रोज चोदोगे..." सोना खुश हो गई।

अब करण जम के चुदाई करने लगा। कुछ ही देर में सोना भी मस्त होने लगी। उसे बहुत ही आनन्द आने लगा। वो भी सीत्कार के रूप में अपना आनन्द दर्शा रही थी। वो अपनी गाण्ड और भी पीछे की ओर उभार कर चुदवाने लगी थी। नीरजा मुस्कराती हुई उसके स्तन मसल रही थी। फिर नीरजा करण के पीछे चली आई। करण सोना का स्तन मर्दन करने लगा था। तभी करण की गाण्ड में नीरजा ने चिकनाई लगाकर अपनी एक अंगुली घुसेड़ दी। उसे पता था कि ऐसे करने से करण बहुत उत्तेजित हो जाता था। करण की लटकती गोलियाँ नीरजा दूसरे हाथ से पकड़ कर खींच रही थी और सहला रही थी। अंगुली तेजी से गाण्ड के अन्दर-बाहर आ-जा रही थी। करण जबरदस्त उत्तेजना का शिकार होने लगा। तभी सोना ने एक खुशी की किलकारी भरी और झड़ने लगी। उसके झड़ने के बाद नीरजा ने करण का कड़क लण्ड बाहर खींच लिया। सोना निढाल हो कर बिस्तर पर चित लेट गई।

नीरजा ने करण का लण्ड अपने मुठ में भर लिया। गाण्ड में अंगुली से चोदते हुये उसने करण का मुठ मारना आरम्भ कर दिया। करण आनन्द के मारे तड़प उठा और उसकी एक वीर्य की मोटी धार लण्ड मे से पिचकारी जैसी निकल पड़ी। वीर्य सोना के अंगो में गिर कर उसे गीला करता रहा। करण ईह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़ करके झड़ता रहा। नीरजा ने करण को अपने वक्ष से लगा लिया और प्यार करने लगी।

"करण मजा आया ना?"

"पूछने की बात है कोई, ये तो कमाल की चीज़ है यार !"

"अब तो मुझे आनन्द से चुदाई के लिये मना तो नहीं करोगे ना ?" नीरजा ने अपना मतलब निकाला।

"अरे आनन्द क्या, वो मंजीत सरदार के लिये भी कुछ ना कहूँगा।"

नीरजा ने उसे करण को बहुत प्यार किया फिर सोना से लिपट कर बोली,"आज से तुम मेरी नौकरानी नहीं, सौत नहीं, मेरी बहन हो। तुम चाहो तो मैं तुम्हें आनन्द और मन्जीत से भी चुदवा दूंगी।" नीरजा भाव में बह कर बोलने लगी।
"दीदी, आप जिससे कहेंगी, मैं मजा ले लूंगी, देखो भूलना नहीं, वो आनन्द और मन्जीत वाली बात।"

तीनों एक दूसरे से लिपट कर प्यार करने लगे।

Friday, March 18, 2011

i can touch every happy












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Ek Tasveer Jo Khawabo Ko Saja Jati H
Kitne Soye Hue Jazbat Jaga Jati H
Aaj Bhi Aapki Yaaden Akele Me
Muskan Ban Kar Lab Par Khil Jati Hai

लंड की बहन की चूत

लंड की बहन की चूत










दोस्तों यहाँ आपको 
चूत-रसीली-रसभरी-रस टपकाए की 
खूबसूरती के जलवे दिखायेंगे
 इन चूतों को देख-देख बड़े-बड़े खड़े लंडों की लार टपक जाय,,, 
इसकी डुबकी से भोसड़ी वाले लंड के पुरखे तर जाएँ
सभी लंड पहले में -पहले में की भीड़ में आपस में भिड हा-हाकार मचाय
फिर भी ओ मूर्ख लड़कियों इन घिनोले लंडों से चुदने के लिए
इन लंडों को पति कह स्वामी कह पूजती हो, 
इनके लम्बे जीवन के लिए करवा-चौथ जैसे व्रत रखती हो
ये लगातार तुम्हें खोदते हैं-पीटते हैं 
फिर भी लंड-चुदाई के लिए 
अपने माँ-बाप से इन्हें दहेज़ रूपी डोनेसन दिलवा क़र 
इनका व इनके माता-पिता,भाई-बहन सभी लंड-चूतों की सेवा करती हो ,
और अपने आप को पतिव्रता कह इतराती हो ,,,
जानेमन यह सब ढकोसला है ,,,
समाज को चूतिया बना अपने अनुसार चलाने का ,,,
स्त्री जाति को लंड चटाने का ...
और स्त्री जाति इस चक्कर में फंस चूतिया बन चुद रही है ..
.स्त्री ही स्त्री को इन पुरुषों के इन लंडों के फंद में डाल रही है ..
..
अरे मेरी चुद्दो तुम्हारी चूत अनमोल है ,,
स्वतंत्र है लंड की गुलाम नहीं ,,
साले लंड को ही तुम्हारी जरुरत ज्यादा है ,,
,
और तुम लंड को अनुशासित क़र 
अपना वर्चस्व कायम क़र सकती हो ,
,
यदि तुम चाहो तो लंड का वहिष्कार क़र ,,
लंड को टट्टी चटा सकती हो
और तुम्हारा 
पूर्ण मनोरंजन 
चूत से चूत मिलकर 
हो जायगा 
जिसमें पूर्ण तृप्ति है
-कोई झंझट नहीं -कोई दर्द नहीं -
कोई वास-दुर्गन्ध नहीं-
कोई गाली-गलोच नहीं -
कोई ब्लेकमेलिंग नहीं ,, 
कोई वलात्कार-हिंसा नहीं -
और कोई बदनामी नहीं -
कोई बीमारी नहीं
-केवल रस ही रस है
 इधर भी चूत उधर भी चूत 
इधर भी रस का सागर उधर भी रस का सागर ,,
इधर भी सुगंध समीर उधर भी सुगंध समीर ,,
इधर भी कोमल एहसास उधर भी कोमल एहसास ,,
इधर भी नाज़ुक फीलिंग्स उधर भी नाज़ुक फीलिंग्स ,,,
और चूत से चूत 
 मिलन मेरी प्यारी सखियों 
तुम्हे परफेक्ट चुद्दो होने का 
चरम आनंद
 प्रदान क़र 
तुम्हें विभिन्न टेस्ट देगा
और मेरी प्यारी-प्यारी
चूतों
यदि विश्वास न हो तो किसी की चूत को अपनी चूत से छिवा के देखें ,,,
नया एहसास जो शब्दों में कहा न जा सके मिलेगा 
यदि कोई सखी मुझसे सेवा लेना चाहती हो तो 
मुझे लिखे 
विनावेटिंग मेरे पास निशुल्क सेवा उपलब्ध है ,,
मेरे साथ प्रत्येक चूत को कभी न भूलने वाला नया और ताज़ा एहसास मिलेगा ...
चूतों से मिलने/संपर्क करने को मेरी वेबसाईट है
 जिसका एड्रेस है ... romanticshilpa .blogspot .com
प्यारी-प्यारी चूत सहेलियों 
यदि तुम ऐसा करोगी तो बड़ा मज़ा आयेगा 
साला लंड-लंड को तृप्त नहीं क़र सकता
तव उसे गू चाटने -गांड की शरण लेनी होगी
 जिसमें वास के साथ केवल विष्ठा है ,,
या भोसड़ी के लंड अपने आप हत्थे मारेंगे
 जिससे उनकी सारी हेकड़ी निकल जाएगी
 तव चूत सखियों लंड तुम्हारे मम्मी-पापा से दहेज़ नहीं मांग सकते 
तव कोई नहीं कहेगा लड़की देखने जा रहे हैं 
तव केवल लडके की नुमाइश होगी
तव सास-ससुर,देवर-नन्द उलटे तुम्हारी पूजा करेंगे ,, 
तुम्हारे जीवन के लिए लंड व्रत रखेंगे और पत्नीव्रता होंगे ,,
तुम्हारे माता-पिता उलटे तुम्हारी शादी पर दहेज़ ले सकेंगे 
तव तुम्हारे माँ-बाप ,,लड़की वाले हो नहीं झुकेंगे 
तव साले लंडों के माँ-बाप तुम्हारे खानदान से मन्नत करेंगे ,,
तव किसी स्त्री का शोषण नहीं होगा 
तव स्त्री पराधीन नहीं होगी, 
तव स्त्रियाँ लतियाई नहीं जा सकेंगी,
तव स्त्रियों की जगह पुरुषों को चरित्र प्रमाण-पत्र देना होगा, 
स्त्रियों को खसम करनी रंडी-रांड करेक्टर-लूज नहीं कहा जायेगा !
तव पुरुष भड़वे,लफंगे,लोफर, हिजड़े,बाँझ,
हरामजादे,लुगाई-ताका,वेश्या,रांड,गंड-मरे होंगे ,
हबशी,अय्याश नामों की गालियों को सहेंगे ,,
जो आज तुम्हारी मुर्खता से तुम्हे दी जातीं है ,,
,
,,रही वात संतान उत्पति की 
तो आज भी तुम्हारी संतान तुम्हारी नहीं है 
अपने बाप की है-तुम्हारे पुरखों को पानी नहीं दे सकती 
अपने बाप के कुटुंब को ही आगे बढाती है ,,
और यदि मन करे संतानोत्पत्ति का तो 
हॉस्पिटल में जा वीर्य खरीद कृतिम गर्भाधान करा सकती है ,,
और ये बहुत अच्छा भी होगा 
तुम्हे उच्च क्वालिटी के निरोग गुणवत्ता युक्त स्पर्म मिलेंगे 
और संतान भी १००% तुम्हारी होगी ..
तुम्हारे कुटुंब में उसका नाम होगा 
उसके मम्मी के माता-पिता उसके अपने होंगे ,,
कोई दूसरा उन्हें तुमसे कोर्ट में चेलेंज नहीं क़र सकता
अतः आपका कहना 'लंड की बहन की चूत' 
मेरे विचारों के समर्थन में होगा ...
यदि आपको ये ठीक लगे तो यहाँ reply में
 "लंड की बहन की चूत" 
लिख लंडों की धज्जियाँ उड़ा दें -




*shilpa saini *

लंड की बहन की चूत-नगाड़ा ये ही बजेगा





लंड की बहन की चूत-नगाड़ा ये ही बजेगा





आधे खेत में गाजर -मूली आधे में शहतूत ,
गाजर-मूली सुखीं अब तो ,
लंड की माँ की चूत ,
नगाड़ा ये ही बजेगा........
मीठे-मीठे शहतूतों में मीठी-मीठी चूत ,
लंड सूख के लटका ऐसा ,
लंड की भैन की चूत ,
नगाड़ा ये ही बजेगा........
चूस-चूस शहतूत सी चूतें मिले मिठास मुंह मांगी ,
लंड बेशर्म दुर्गन्ध का पिटारा ,
लंड के मुंह में गू ,
नगाड़ा ये ही बजेगा.........
चूत रसबरी प्यारी-प्यारी ,लंड गंड-मरा साला ,
इसकी कोई जरुरत नहीं है ,
लंड की माँ का खाला ,
नगाड़ा ये ही बजेगा.....

*shilpa saini*
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Sunday, March 6, 2011

My Sweetu










Khari hai,
khoti hai
Rone ko chhoti hai
Dhaage se khushiyon ko
Silti hai, darzi hai
Sau gram zindagi yeh
Sau gram zindagi yeh
Sambhaal ke kharchi hai
Thodi si meethi hai
Zara si mirchi hai


Sau gram zindagi ye
Sau gram zindagi yeh,
Sambhaal ke kharchi hai
Thodi si meethi hai,
Zara si mirchi hai





Miss

You

My

Sweetu



































Miss


You


Really


IMU


















Miss


You


Really


IMU














Chand ki katori
hai