शहर में अम्मा | |
बीच शहर में रह कर अम्मा गुमसुम रहती है खड़ी चीन जैसी दीवारें नील गगन छूती मीनारें दिखें न सूरज चाँद सितारे घर आँगन सब बंद किवारे बिछुरी गाँव डगर से अम्मा पल-पल घुलती है नंगा नाच देख टीवी में नोंक-झोंक शौहर-बीवी में नाती-पोते मुँह लटकाए सन्नाटा हरदम सन्नाए देख-देख सब घर में अम्मा गुप-चुप रहती है सारी दुनिया लगती बदली चेहरा सबका दिखता नकली धरम-करम सब रखे ताक में सब के सब पैसा फ़िराक में सह ना पाती ये सब अम्मा सच-सच कहती है शिल्पा सैनी |
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