महका मन | |
बहुत दिन के बाद महका मन सिलवटें कम की समय ने एक ठंडक पी लहलहाने लगा उर का विपिन दंडक भी मुदित चिड़ियों-सा प्रकृति के साथ चहका मन बहुत दिन के बाद महका मन मिल गई पर्यावरण को शुद्ध आक्सीजन इस तरह से कुछ हुआ ॠतु-चक्र परिवर्तन डूबकर स्वप्निल सुरा-सरि आज बहका मन बहुत दिन के बाद महका मन |
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