Sunday, August 28, 2011

महका मन


महका मन
 
बहुत दिन के बाद
महका मन

सिलवटें कम की समय ने
एक ठंडक पी
लहलहाने लगा उर का
विपिन दंडक भी
मुदित चिड़ियों-सा
प्रकृति के साथ
चहका मन
बहुत दिन के बाद
महका मन

मिल गई पर्यावरण को
शुद्ध आक्सीजन
इस तरह से कुछ हुआ
ॠतु-चक्र परिवर्तन
डूबकर स्वप्निल
सुरा-सरि आज
बहका मन
बहुत दिन के बाद
महका मन

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