Sunday, August 28, 2011

उस नीलम की संध्या में



उस नीलम की संध्या में
हम 
तुम दो तारों जैसे
वो घनी चाँदनी शीतल
वो 
कथा कहानी से पल
वो 
नर्म दूब की शबनम
वो 
पुनर्जन्म सा मौसम
वो मलय समीरण झोंके
जीवन
   पतवारों  जैसे
उस 
नीलम की संध्या में
हम 
तुम दो तारों जैसे
वो चाँद का मद्धम तिरना
वो रात का रिमझिम गिरना
वो 
 मौन का कविता करना
' बात का कुछ न कहना
तारों के जगमग दीपक
नभ 
बंदनवारों जैसे
उस नीलम की संध्या में
हम 
तुम दो तारों जैसे
 




 

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