TRUE ROMANCE
Sunday, August 28, 2011
जानेमन नाराज न हो
जानेमन नाराज़ ना हो
समय पाखी उड़ गया तो
भाग्यलेखा मिट गया तो
पोर पर अनमोल यह पल क्या पता फिर साथ ना हो
जानेमन नाराज़ ना हो
ज़िंदगी एक नीड़ सी है
हर तरफ एक भीड़ सी है
कल ये तिनके उड़ गए तो फिर
न जाने हम कहाँ हों
जानेमन नाराज़ ना हो।
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